- Publisher Arvind Saraswat
Jun 06, 2021 08:12 PM
सफ़ेद फूल
मां को मनी प्लांट का बहुत था शौक जब भी किसी के घर में फलता फूलता लहराता बलखाता मनी प्लांट देखतीं बहुत प्रभावित होती थीं।
उन्होंने भी अनेक बार लगाने की कोशिश की मगर कभी पनप नहीं पाया... न जाने ऐसा क्या था , जो बहुत कोशिशों और देखभाल के बावजूद हर बार मनी प्लांट मुर्झा जाता था ।
मां को लगता था मनीप्लांट फलने से समृद्धि फलती है किंतु हर बार की उनकी कोशिश बेकार जाती। अनेक असफल कोशिशों के बाद जीवन के अंतिम वर्षों में उनको कैक्टस लगाने की सनक चढ़ी। कैक्टस कभी सूखे या मुरझाए नहीं न ही वे मनी प्लांट की तरह नाज़ुक मिजाज़ रहे,
उनके लिए कभी चाव से गमले नहीं लिए गए बस घर में जो भी खाली डिब्बे होते उन्ही में रोप दिए जाते , जिस भी हाल में जहां जैसे रख दिए गए वे डटे रहे। जिस दिन मां गुज़री उस दिन ; कैक्टस में सफ़ेद फूल खिले।
दीप्ति सारस्वत प्रतिमा
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