अलका (भाग -5): By Anant saraswat

अलका (भाग -5)
हम दोनों को दूर हुए दो साल से ज्यादा का समय बीत गया था । हर दिन की तरह मैं उसे याद करते हुए अपने घर को लौट रहा था । रात के लगभग दस बजे का समय रहा होगा हमेशा की तरह मैंने आज भी थोड़ी सी पी हुई थी ।



मैं उस गली के मोड़ पर ही पहुंचा था कि पीछे से एक बच्चे की आवाज़ आई ... हैलो भईया... मैंने आवाज़ सुनी और मैं रुक गया पीछे मुड़कर देखा तो एक चौदह /पंद्रह साल का बच्चा था । उसे देखकर मैं फिर से आगे बढ़ा तो उसने फिर से आवाज़ लगाई । मैं उसे जानता नहीं था । मैंने उससे पूछा बताइए क्या बात है। मैं नशे मै था इसलिए उस बच्चे से ज्यादा बात नहीं करना चाहता था । लेकिन अब वह मेरे पास तक पहुंच गया था । तो बात करनी भी जरूरी हो गई थी । गली मै अंधेरा था ।





शहर की बत्ती गुल थी उसने मुझसे बड़े विश्वास के साथ सीधे कहा ... आपका कोई इंतजार करता है । यह सुनकर मुझे थोड़ी हंसी आ गई थी । अभी तक मैं उसकी बात को समझ नहीं पाया था । मेरे लिए यह एक दम किसी फ़िल्म के सीन की तरह था उसने मुझसे दुबारा कहा .... आपने कभी ध्यान नहीं दिया ।




अब मैं थोड़ा सकुचाया और उसकी बात पर ध्यान दिया । आगे मैं कुछ कहता या पूछता उसके पहले वह वह बच्चा चला गया... अभी तक तो मां इंतजार करती थी । मैं यही सोचता था । लेकिन साला इस अजनबी शहर में मेरा इंतजार.. खैर कोई नहीं । अब मेरे लिए यह जानना जरूरी हो गया था इंतजार करता कोन है... इसके लिए मुझे कल तक का इंतजार करना था या एक बार फिर से उस गली मै आना था ।





मैंने उसी वक्त गली मै दुबारा से आने का विचार किया ... मैं वही से वापस हुआ और उस गली मै दुबारा से आया । गली में अंदर आते ही मैंने देखा कि शर्माती हुई एक लड़की अपने घर से निकलती हुई दूसरे घर मै गई ...उसे देखकर अब मैं समझ चुका था । यह वही मातुरमा हैं । जो मेरा इंतजार करती हैं। अब मैं घर की तरफ चल दिया था । बिना देर किए गली में चलते चलते यह घटना क्रम मैंने अपने दोस्त को मोबाइल फोन के द्वारा बताया । उसके बाद मैं घर पहुंच गया था । मेरा घर वहां से कुछ दूरी पर ही था ।






दस मिनट ही हुए होगें कि उस गली मै फटफटिया पर तीन चार दोस्त पहुंच जाते हैं ... और मेरा नाम जोर जोर से पुकारते हैं । कुछ देर के बाद मैं भी उसी जगह पर पहुंच जाता हूं सभी जोर जोर से हंसने लगते हैं । थोड़ी मेरी हवा टाइट थी। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है... वह बच्चा जो कुछ देर पहले मुझे मिला था दुबारा फिर से आ टपका । उसने आते ही इस बार सीधा मोबाइल नंबर मांग लिया । मैं जब तक कुछ बोलता उसके पहले साथ के लोगों ने मेरा नंबर उस बच्चे को दे दिया । यह सब इतना जल्दी हुआ कि जैसे चाय मै दूध डालते ही उफान आ गया हो । अब सभी लोग पार्टी मांग करने लगे....






मैंने उन सभी लोगों को वापस लौटने को कहा लेकीन सभी लोग मेरे घर पहुंच गए । मैंने घर का दरवाजा बंद किया कि तब तक मेरा मोबाइल फोन बज गया । घंटी बजते ही इतना तो समझ आ गया कि यह फोन की घंटी कहां से बज रही है । मैंने कॉल को रिसीव किया और हैलो से शुरुआत हुई । बिना देर किए उसने सीधा बोला ...पिछले दो साल से आपका इंतजार कर रही हूं । लेकिन आपकी आखों को देखकर आप से बात करने की हिम्मत नहीं हुई डर लगता था आपको देखकर । लेकिन दिल है कि मानता नहीं ...हिम्मत करके आज ठान लिया था । बात करनी है... आपसे बस । बहुत प्यार करती हूं आपसे ।








आपने कभी सोचा है अब मैं सोचता तो तब ...जब हमें कुछ पता होता ... साला मैंने तो अब तक फिल्मों मै भी इतना जल्दी इज़हार होते नहीं देखा । इस बात की मुझे ज्यादा खुशी नहीं थी । मेरे जहन में अलका थी । शायद इसलिए इतने समय तक मेरा ध्यान भी कहीं और गया ही नहीं था अब मेरा दोस्त उस लड़की से बात करना चाहता था बार बार वह मुझे बोल रहा था । यह बात उस लड़की ने भी सुनी तो उसने भी मुझे बोला इस कहानी के यह दो किरदार अहम थे वह छोटा बच्चा और मेरा दोस्त ... मैंने फोन उसे दे दिया था और उसने अगले दिन मिलने को बोल दिया था । अब मेरे सामने दो रास्ते थे । एक जिसकी यादों मै ... मैं डूबा था और दूसरा ...एक नई शुरुआत । तय मुझे करना था ...लेकिन मेरी समझ मैं कुछ आ नहीं रहा था ...बार बार उसके कॉल आ रहे थे और पूरी रात बकवास चलती रही... सुबह होने को थी और रात की पी हुई भी उतर गई थी । पूरी रात के ड्रामा के बाद आंख लगी ही थी । फिर से घंटी बज गई । मेरी नहीं ... मोबाइल फोन की ...कॉल उठाते ही सीधा पूछा आप कितनी देर में चल रहे हैं ।






अब इंतजार नहीं हो रहा है । आपसे मिलना है और जी भर के निहारना है । बहुत इंतजार करवा लिया आपने ...एक पल के लिए लगा जैसे मैंने उसकी भैंस खोल ली हो । इसलिए वह दवाब बना रही है । मैंने उसे एक घंटा के बाद कॉल करने को कहा । मुझे हल्की सी नींद आई कि अब दोस्त भी घर आ गया । वह बेहद खुश नज़र आ रहा था । मन ही मन मैंने उसे गाली भी दी । मैं सोना चाहता था... क्योंकि मैं तो आज एक लड़की से मिलने जा रहा था । यह काम उसी ने किया था । कोई भी व्यक्ति धर्म संकट मै आ जाएगा जब किसी की यादो के सहारे जी रहे हो और अचानक एक लड़की आपको सामने से मिल जाए ।






मेरी भी वही स्तिथि थी । क्या करें क्या न करें यह सवाल था ... साथ मै वह खुराक भी लाया था । तो उसने दो दो पैग लगाने को कहा...अब लाया था । तो लगाना भी जरूरी हो गया था । खुराक लेने के बाद थोड़ा मूड फ्रेश सा लगने लगा था और अब हम फटफटिया लेकर चल दिए । जो होगा देखा जाएगा ...कुछ देर के बाद हम एक पार्क में पहुंच गए और वहां से उस लड़की को कॉल किया उसका नाम सही तरीके से मुझे याद नहीं था और उसे आने को कहा । कुछ देर तक मैं और मेरा दोस्त वहां उसी पार्क मै घूमते रहे ।








अब वह पार्क पहुंचने वाली थी । वह रास्ते से कई बार कॉल कर चुकी थी । यह बात सुनते ही मेरा दोस्त वहां से खिसक लिया था । वह हम दोनों को अकेला छोड़ना चाहता था । उसके जाने के बाद अब मैं वही उसके इंतजार करने लगा । वह मुझे आती हुई दिखाई दे रही थी । जैसे ही वह मेरे पास पहुंची ... पहुंचते ही वह मेरे गले से लिपट गई और जोर जोर से रोने लगी । यह सब देखकर मेरे कुछ भी समझ मै नहीं आया... वैसे किसी भी व्यक्ति को अच्छा लगेगा अगर कोई भी लड़की अचानक गले से लिपट जाए तो । उसके रोने से माथा ठनक गया था मेरा । थोड़ी देर अच्छा सा लगा लेकिन उसके रोने से पूरी कहानी बदल गई...







सबसे पहले उसने मेरी आखें देखी और बोली इन्हीं से डर लगता था इन्हीं की वजह से मैं अपने दिल की बात नहीं कह पाई । मैंने पिछले दो साल कैसे निकाले हैं । यह मैं ही जानती हूं । मैं उसे कैसे बताता मेरे दो साल कैसे निकले हैं अलका की यादों में । उसे मेरे मुंह से शराब की सुगंध आ रही थी । उसने कहा आप दिन मै ही... मैं गर्दन हिलाकर उसे जवाब दिया । मुझे थोड़ा सा पसीना आ गया था । उसने अपने दुपट्टे से मेरा चेहरा पहुंचा । यह सब मुझे ठीक नहीं लग रहा था । पर कभी कभी ठीक भी लग रहा था अब उसने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे मै पूछा था मैंने उसे बताया । एक लड़की है जिसे मैं चाहता हूं जिसे प्यार करता हूं ।






कुछ देर के लिए उसका मुंह बन गया था । उसके बाद उसने मेरी उम्र पूछी । वह मुझसे उम्र मै बड़ी थी । वह मुझे बार बार अपनी प्रेम कहानी के बारे मै बता रही थी । वह कितना प्यार करती है मुझ से । कैसे वह हर रोज मुझे देखती थी । वह मेरे पूरे दिन की दिनचर्या जानती थी । कितने बजे जाना होता है कितने बजे आना होता है । कोन से रंग की शर्ट मुझ पर ज्यादा अच्छी लगती है । वह मेरे बारे में अपनी सहेलियों तक को बताती थी इसके बाद उसने मुझसे शादी करने को कहा यह सब पहली मुलाकात में हो रहा था...लेकिन मैं इस कहानी को यहीं खत्म करना चाहता था कोई भी कहानी जितना जल्दी शुरू होती है उतना जल्दी ही वह खत्म हो जाती है मेरे जीवन में तो पहले से कई कहानी चल रही थी ।






अपने लिए एक नई कहानी और नहीं गड़ना चाहता था । और नींद की वजह से घर जाके सोना चाहता था । मैं उस स्थिती मै कुछ समझ नहीं पा रहा था और मुझे बहुत नींद आ रही थी । यह सब सुनते सुनते कुछ देर के लिए मैं सो गया था । उसके बाद वह अपने दुपट्टे से मेरे चेहरे पर आए हुए पसीने को पोंछने लगी तो मेरी आखें खुल गई थी । वह लाल रंग की कुर्ती और सलवार पहनकर आई थी । अगर वह किसी चौराहे पर खड़ी हो जाए तो उसे देखकर ट्रैफिक थम सकता था । उसके रूकने से मेरे मन मैं कई तरह के विचार आ रहे थे । अब मैंने उसे घर जाने को कहा था । लेकिन वह घर जाने को राजी नहीं थी । वह एक कैथलिक लड़की थी और बहुत खूबसूरत थी... उसने बताया था । मुहल्ले और उसके कॉलेज के लड़के उस पर लट्टू रहते थे... लेकिन वह मुझे बेहद पसंद करती थी मैं किसी को अपशब्द या बुरा भला नहीं कह सकता था । अब मेरा माथा गरम हो गया था मैंने कई बार उस लड़की से घर जाने की गुजारिश की ... आप अपने घर जाइए ।








समय निकल रहा था... वह लड़की मुझ से शादी की ज़िद पर अड़ी रही पहली बार किसी ने मुझे लालच दिया था शादी के बाद वह अपने हिस्से की जमीन मेरे नाम करवाना चाहती थी । उसने मुझे काम करने के लिए भी मना कर दिया था । वो किसी कॉलेज से डेंटिस्ट की पढ़ाई कर रही थी । उसके बाद हम मिलकर क्लीनिक चलाएंगे ऐसा उसका कहना था । मुझे तो यह एक तरह का सौदा लग रहा था । और किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक अच्छा सौदा भी था । मेरे अंदर एक युद्ध चल रहा था । मैं खुद से लड़ रहा था । पहले उस युद्ध को जितना ही मेरा लक्ष्य था । यह सब बाद के लिए था ... उसने मेरा चेहरा ही देखा था शायद ...मेरे अंदर के इंसान से वह परिचित नहीं थी शायद उसका प्यार एक पल में खत्म भी हो सकता था... पूरी तरह गुस्से में आकर अब अपने दोस्त को कॉल किया ... और उसने कुछ देर मै आने को कहा ।









एक बार मेरे मन में आया था... इतना सब चल ही रहा है ...तो एक किस तो बनती है ... यहां मैं स्वार्थी हो रहा था । क्षणिक सुख के लिए यह सब ठीक नहीं था और स्वार्थ तो मैं पहले ही त्याग चुका था ... इसलिए अपने मन पर नियंत्रण कर लिया था कुछ देर बाद वह यानी मेरा दोस्त आ गया था वह पूरा घटना क्रम समझ चुका था... मेरे दोस्त ने उस लड़की को बहुत समझाया और उसके बाद उस लड़की को ऑटो रिक्शा मै बिठाया अब वह लड़की अपने घर के लिए निकल गई थी । मुझे थोड़ा सुकून मिला था कुछ देर मैं उस पार्क में रुका रहा और एक बार फिर से मैं अलका की यादों में खोना चाहता था शाम होने को थी । मुझे वापस अपने अड्डे पर पहुंचना था । अभी तक मुझे अलका की कोई खबर नहीं थी । शाम होते ही बोतल खुलनी होती थी और खुल भी गई । अड्डे के ज्यादतर लोग गैर कानूनी काम करते थे । अभी तक में घर नहीं गया था । और आज यह तो फाइल हो गया था कि अब उस गली मै नहीं जाऊंगा ।








जिस गली में वह कैथलिक लड़की रहती है । दूर होने का दर्द क्या होता है यह मैं समझता था जो भी हो वह प्यार तो करती थी । दो साल तक इंतजार करना । यह सब ख्याल मन में आने लगे थे लेकिन मैं खुद उस स्थिति में था । तो उसे मेरे पास दुःख के सिवाय कुछ और मिलता भी नहीं मैं अकेला रहना चाहता था... आज पीने के बाद अगला काम मुझे ही दिया गया था । इसके लिए मुझे दक्षिण भारत में जाना था। वो भी एक सरकारी अधिकारी के घर... यह सुनते ही मैं पूरी तरह से हिल गया था अड्डे का असुल था । न का मतलब जान से हाथ धोना ... मेरी बैचेनी बढ़ गई थी । मैं पूरी रात शहर की सड़को पर घूमता रहा ।








मैंने अभी तक अपने सम्राट का बदला भी नहीं लिया था जिसे प्यार किया वह भी मुझ से दूर हो गई जो आई उसे घर भेज दिया शहर मै कुछ लोगों से अलग दुश्मनी आज तो एक नई मुसीबत और । साला आज तो ऐसा लग रहा था । सब कुछ रेत की तरह हाथ से फिसलता जा रहा था और मैं तमाशा देख रहा था... बस... मैं जी भर के रोना चाहता था । आज मैं अपने आपको बेहद अकेला महसूस कर रहा था आज अलका होती तो उसे अपने सीने से लगा लेता । यह सब मैं क्यों और किसलिए कर रहा था ।






शायद वह मेरी मदद करती । सच तो यह है ...मर्द कभी रोता नहीं है । रोता भी है तो उसके आसूं किसी को दिखाई नहीं देते हैं । वैसे मर्द को रोने का कोई अधिकार नहीं होता है आसूं बहाकर कोई जंग नहीं जीती जाती है यह सब मैंने ही तो किया है । इस सब का जिम्मेदार तो मैं ही हूं । .....किसलिए परेशान होना ... अलका की याद बहुत आ रही थी । क्या मैं अपने सुकून के लिए एक बार फिर से उसको याद कर रहा था ।








सुकून तो मुझे वह कैथलिक लड़की भी दे सकती थी ...लेकिन ऐसा नहीं था वैसे मुझे यही लग रहा था मैं स्वार्थी हूं मेरे जीवन में यह सब क्या चल रहा है अब वह मुझे भूलकर एक नई जिंदगी शुरू कर चुकी होगी । यह सब मैं सोच रहा था । लेकिन सब कुछ हमारे वश में नहीं होता है । सुबह हो गई थी । अब मैं घर जा रहा था ।






लेकिन न चाहते हुए भी मैंने आज अलका को संदेश भेज दिया था । शाम की गाड़ी पकड़ कर मैं और मेरा साथी अपने काम को मुकाम तक पहुंचाने के लिए निकल चूके थे । एक लंबी यात्रा के बाद अब हम दक्षिण भारत के एक शहर में दस्तक दे चूके थे । शहर पहुंचने के बाद उस अधिकारी के घर पहुंचने मै अब ज्यादा समय नहीं लगा था चारों तरफ उसके घर का मुयाना कर के अधिकारी के घर में दस्तक दे दी थी ।










मुझे थोड़ा डर लग रहा था मेरे लिए यह सब पहली बार था । अधिकारी के घर पहुंचते ही उसने हमें नाश्ता करवाया था वैसे वह एक भ्रष्ट व्यक्ति था ... और हम भी कोई राजा हरीश चंद नहीं थे... अब काम की बारी थी....






एक घंटे से ज्यादा वक्त निकल चुका था काम खत्म करते ही हमे फ्लाइट पकड़नी थी लेकिन कुछ देरी हो रही थी । मुझे ऐसा लग रहा था । जैसे हम पकड़े जाएंगे लेकिन अब मुझे तो ईश्वर ही नज़र आ रहा था । वही कोई रास्ता निकलेगा.... अब आगे....

इसे भी पढ़ें:
मदर्स डे

www.bharatnews360.com/news-details/1137/mothers-day-special-poem-by-deepti-saraswat-pratima

  •               

Leave a comment