- Publisher Arvind Saraswat
Apr 29, 2021 10:15 PM
![Arvind Saraswat](http://bharatnews360.com/uploads/writer-images/345445465.img_1530.jpg)
![रविवार आज मौसम मज़ेदार है , खुला आसमान कड़क धूप।](http://bharatnews360.com/uploads/news-images/1006769252.img_29042021_215621_(636_x_331_pixel).jpg)
रविवार आज मौसम मज़ेदार है , खुला आसमान कड़क धूप। शिमला जगह ही ऐसी है कि बारहों महीने धूप अच्छी लगती है।
अप्रैल का अंतिम सप्ताह है और सर्दी है कि जाने का नाम नहीं ले रही। घर के काम निपटाने और नाश्ता कर लेने के बाद तनया को लगा कि बाहर निकलना चाहिए । ये लॉकडॉन का माहौल कुछ ऐसा हो गया है कि घर में पड़े - पड़े टीवी और फोन देखते बीमारी का वहम बढ़ता जाता है बस।
हाथों और चेहरे पर सनस्क्रीन मलती तनया घर के बाहर ही सीढ़ियों पर आ कर बैठ गई। हस्बेमामूल फोन हाथ में है।
सीढ़ी पर बाहर थोड़ी तेज गर्म धूप और फ़ोन। वक्त अच्छा कट जायेगा। गनीमत है आज फेसबुक पर सुबह ही कोई बुरी ख़बर पढ़ने को नहीं मिली। ऑक्सीजन के लिए हाहाकार बदस्तूर जारी है।
कुछ आभासी दोस्तों के जाने का गम। रात भर दिल दिमाग में अपनी जगह बनाता रहा। कुछ की चिंता अब भी तारी है। भगवान सबको जल्दी ठीक करे। ये सब दिमाग में चल रहा और अंगूठे मोबाइल पर।
कहीं लाइक कहीं लव रिएक्ट कहीं हार्दिक शुभकामना कहीं आंसू कहीं सादर नमन । अंगूठों को अच्छे से पता है कैसे जल्दी जल्दी काम निपटाना है। अभ्यस्त हो चुके हैं पिछले पांच एक सालों में। शुरू शुरू में उलझन होती थी कुछ का कुछ टाइप। तकनीकी अज्ञान भी परेशान करता था। मगर आभासी मित्रों ने बड़ी मदद की।
कुछ आभासी तो बाद में असली में भी मिले। अलग ही दुनिया मिल चुकी है तनया को । वो खुश है। बहरहाल धूप और हवा बारी - बारी उसकी गोरी त्वचा को बालों को बड़ी बहन और मां के जैसे सहला रहीं हैं।
धूप मां सरीखी है थोड़ी कड़क। इतने में अपनी तस्वीर पे मिली तारीफ़ पर तनया मुस्कुरा उठी। अजब दुनिया है कितनी खुली - खुली सब कितना बेझिझक तारीफ़ करते हैं। औरतों की तो पौबारह है। सुंदरता की इतनी तारीफें पा एक बार को आत्मा तृप्त हो जाती है।
तनया दमकते चेहरे से कल ही अपलोड की फोटो पर मिली तारीफों के विनम्र शालीन जवाब दे रही है। कुछ एक बेहूदा कमेंट्स को अवॉइड कर देती है।
कोपिए ए ए ए , किता आ आ आ बे, रद्दीए ए… अचानक शांत वातावरण में आवाज़ गूंज उठी। तनया ने ध्यान नहीं दिया। रद्दी वाला इसी बिल्डिंग में नीचे से ऊपर की ओर आने लगा। तनया को खलल महसूस हुआ ।
बीच रास्ते में बैठी है शिमला में रास्ते ऐसे ही हैं…बिल्डिंग्स से होते हुए गुजरते हैं रद्दी वाला पहाड़ी पर ऊपर की ओर जाना चाहता है।
फोन से ध्यान हटा तनया उठ खड़ी होती है। वह असमंजस में है कि किस ओर हटे इत्ते में रद्दी वाला बगल से गुज़र जाता है।
तनया फिर वहीं सीढ़ी पर बैठ जाती है। कुछ कदम चल रद्दी वाला अचानक उसका ध्यान आकर्षित करता है। मैडम ये कीकर के पेड़ से जब फूल झरते हैं उन दिनों इसके नीचे बिना मास्क लगाए नहीं बैठना चाहिए। हकबका के तनया की नज़र रद्दी वाले के मास्क पर जाती है,
फिर उसकी नीली आंखों पर, घुंघराले बाल, लंबा कद...ये आदमी फेसबुक अकाउंट बनाए तो हजारों औरतें मर मिटें… प्रत्यक्ष में तनया ने अपना ज्ञान बघारा ये कीकर थोड़े है वो तो कांटेदार होता है और गर्म इलाकों में होता है।
मैडम आपका नहीं पता आप क्या बोलते इसको हमारे कश्मीर में कीकर ही बोलते हैं। अच्छा ! एलर्जिक होते होंगे फूल।
फिर आसपास बिखरे सफ़ेद नाज़ुक फूलो पर नज़र दौड़ा तनया ने सोचा के जोड़े हमें तो आज तक नहीं हुई एलर्जी, जब तक तनया ने नज़र उठा दोबारा रद्दी वाले को देखा वह पहाड़ी पर ऊपर की ओर काफ़ी आगे बढ़ चुका था…
एक कश्मीरी कीकर के सफ़ेद फूल सी नाजुक गोरी तितली पास ही क्यारी में उगे गहरे गुलाबी फूलों पर इत्मीनान से बैठी थी।
तनया उसको बोली बड़ी प्यारी है तू रुक ज़रा मैं अंदर से मास्क ले आऊं फिर तेरी फोटू ले कर अपलोड करती हूं। देखना कितनी तारीफ़ मिलेगी।
दीप्ति सारस्वत प्रतिमा